आल्हा शैली मात्रा 16-15
आल्हा शैली मात्रा 16/15
काशी के वासी संन्यासी, उनकी महिमा अपरंपार।
बड़े भाग्य से हुए निवासी,आये काशी बने सितार।
सत्कर्मों का फल वे पाये, रचा प्रेम से है करतार।
मोक्ष हेतु काशी में घूमे, मानवता से सच्चा प्यार।
कर में धर्म ध्वजा लहराते,अपने मन पर किये प्रहार।
सच्चाई की राह दिखाकर, बने सभी के खेवनहार।
सहज संयमित जीवन शैली, पहने उपदेशों का हार।
सुख-दुख से वे ऊपर उठकर,समझे काशी को ही सार।
मन के मैलेपन को धोकर, हुए स्वयं पर सहज सवार।
विश्व एकता की बातों का, किये निरन्तर दिव्य प्रचार।
काशी के सब सन्त शिरोमणि, हैं जीवन के मूलाधार।
Sachin dev
06-Jan-2023 06:09 PM
Well done
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Gunjan Kamal
05-Jan-2023 08:39 PM
बेहतरीन
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